हाँ, ये पहली मरतबा मोहब्बत की बारिश हुई है !
जारा सोच विचार कर लो कही तो साज़िश हुई है !
जो कल परसों तक गर्दन नापते थे हमारी,
जारा सोच विचार कर लो कही तो साज़िश हुई है !
जो कल परसों तक गर्दन नापते थे हमारी,
आज कौन सी नुमाइश हुई है !
ज़िद में अडे थे हम भी नहीं जायेंगे उसके चौखट पर,
ज़िद में अडे थे हम भी नहीं जायेंगे उसके चौखट पर,
नजाने ये कहाँ से आज फरमाइश हुई है!!
बिखरे से थे साख और दिल पे उदासी छाई है !!
ढकोसलों के शहर में दीवाली आई है !!
बात बात पर कहते थे हमें, तु क्या चीज हो !!
आज उसी बारूद खाने में इक चिंगारी आई है !
इम्तहान मत लो मेरे सब्र का यह “सरगम”,
सारे जहाँ मे क़यामत आई है!!
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