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शायरी: इज़हार ए इश्क़

 हम उसे बेइंतहा मोहब्बत करते हैं , ये बातायें कैसे ? उसकी ताबिज़ पर नाज़ है हमें , ये पैगाम पहुँचाये कैसे ? चन्द घड़ी ही तो हुई हैमुलाकात कीउसे पलकों में बिठायें  कैसे ? 

सुना है की वो प्यार में हद से गुज़र जाती है ,खुदको यक़ीन करयें कैसे !! दिलदिमाग और आठों प्रहर की चैनअब हम उस परलुटायें कैसे ? शरीक होती थी वो लाल किले के बंद कमरों में हमारे साथपर  हाथों पे हाथ मिलायें कैसे ? 

जलती थी वो भी हमें किसी और के साथ देख करवो आँखों में गुस्सा समझायें कैसे ? तक़दीर लिखी दी थी  ख़ुदा ने इक कुनबे मेंवो जान तुम हो यह बतायें कैसेमुकद्दर में मिली थी तनहाई हमेंइक बेनूर ज़िन्दगीतेरे आगमन नें हज़ार रंग भर दीतुझे बतलायेंकैसे !! 

सरगम 

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