ज़िंदगी के पन्ने
देखते ही देखते एक वर्ष भी बीत गया, ज़िन्दगी कि कारवाँ से इक लमहा मिट गया !!!
कुछ यादें कुछ वादें, सिसकती तनहाई में अलविदा के प्याले,
सुर संगीत, सरगम दे कर यूँ ही सब कुछ मिट गया!
देखते ही देखते ही देखते एक वर्ष भी बीत गया, ज़िन्दगी कि कारवाँ से इक लमहा मिट गया
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चाहत थी हमें चाँद सितारों की,
कहाँ जुगनूओं में उलझ गये!
निकले थें मंजिल की ओर इक चराग ले कर ,
इन अँधेरो से झुलस गये!!!
वो ख़ाव वे ज़ुनून और वो तक़दीर की बिखरी लकिरें
समंदर को पार कर के,
कहाँ दरिया में उलझ गये!!!
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बिच भँवर में खो गयी है शाम,
उलझनों में उलझन है ज़िन्दगी का नाम !!!
चलते चलो, प्रवाह से लड़ो धैरता से लो काम, कभी हार तो कभी जीत यही तो जीने का है नाम !!!
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