चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
एक छोटी सी कुटिया, बिखरे पड़े किताब, जैसे मेरे ख्वाब !!
सिराने लगी शिव की मान , काशी के शान, मेरी ज़िन्दगी दिखाउंगा , चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!!
एक साधु सा जीवन, कुछ तो थे सपने , बिखरे पड़े अपने !!
ज़मीन आौर ज़मीर की तान, काशी के सम्मान, मेरे फ़किरी दिखाउंगा ,, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!!!
एक खामोंश सा दीयार, ज़मीन का आधार जैसा मेरा संसार !!
गदौलिया का शोर, गंगापार का मोर , मेरी बंदगी दिखाउंगा , चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!!
मरे नंने से पाँव जहाँ पडे थे, जैसे केशरीया रंग भरे थे, घाटों के नवाब, गुलाब ख्वाब और असमान से उतरते मेहताब दिखाउंगा, चलतुझे बनारस दिखाउंगा !!
पतली सी गली, कुटील बोली और साँड़ का सैलाब !
भौकाली बाबाओं का कतार , गीत-संगीत और सितार
अन्नपूर्णा का प्यार दिखाउंगा , चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
उतरते ही भो .. का नारा, गली कूँचे और गंगा किनार !
बेजोड हैं रा..., सांड़, सीढ़ी और सन्यासी का पारा
घाटों का चौचक नजारा दिखाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
विहाने विहान लोगों का मेला , कोई लोटा, तो कोई गमछा और लंगोटा !!
घाटों के पंडे, चिचियाते लवंडे, दशाश्वमेध घाट, आरती और शरारती उदण्डे !
लन्ठो का मेला दिखाउंगा , चल तझे बनारस दिखाउंगा!
शाम होते ही रंगीन बजार, ज़ायक़ा, नायक और नायिका
त्रिवेणी, कस्तुरबा, आई .टी के संग सरोवर गुलज़ार
भीटी (विटी) का द्वार, मधुवन फूल और बहार
महामना की एकल सृष्टि दिखाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!!
वेद-पुराण और प्राचीनता, संस्कार और संस्कृति की द्विप है
धर्ती पर स्वर्ग, ॐकार , साक्षात महाकाल का द्वार
श्मशान का दीयार, विश्वनाथ संकटमोचन , गिरिजाधर का प्यार दिखाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
बुद्धम शरणम् गच्छामी और सारनाथ की शान्ति
कबीरदास, रविदास, सुरदास यही हुआ ज्ञान का क्रान्ति
वरूणा से चल कर अस्सी, रामनगर की लस्सी, कचौड़ी दही और जलेबी खिलाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
बेजोड है वो नज़ारा देवदिपावली का, रामलिला, भरतमिलाप और गंगा दशहरा
शिव जी के चरणों से उतरती माँ गंगा का धारा
रथयात्रा का मेला, झोला और झमेला, नककटैया दिखाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
एक अजीव सा जीवन भीड़ कोलाहल में भी शुकुन
हर एक राजा है काशी का कंगाली में भौकाली ज़ुनून
सुबह की घाम, घाटों का शाम और लंकवा का जाम
दिखाउंगा , चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
मौज में रहते यहाँ हर कोई, सेठ हो या संयासी
मिज़ाज देखो तो हर कोई , कही भी है बिन्दासी
प्रातकालीन नौका-विहार दोपहर में गंगापार और शाम की आरती सुमार दिखाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
मिठास माटी की खुशबु आती है, हर कुल्लड, चुस्की नजाने क्या लाती है ! भंग के रंग में ठंडई के संग मे मिज़ाज बनारसी सदैव आतीहै!!
झाँड की ताड़ी, भांग पकौडे की थाली , मलाई, रबडी और पान सुपाडी खिलाउंगा, चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!!
श्रृंगार अनोखी है रसमय बहार , गीत-संगीत और चारों पट की पुकार ! ख्याल, दादरा ठुमरी और चैती , होरी कजरी का सौहार्द !
ध्रुपद मेला, कजरी का भेला गुलाब बाडी संकटमोचन दिखाउंगा , चल तुझे बनारस दिखाउंगा !!
कुमार सरगम
Extremely beautiful
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