लवली है वो !!
थोडी सी पगली है वो मगर दिल की अगली है
शरारत खुब करे, थोडी बेवकुफ , थोडी होसियार ,मौंज में रहती है वो, लवली है वो!!
मुस्कान उसकी गुलशन में बहार ,, आँखों में इक ख्वाब सा संसार
कभी मचलती है वो मगर सम्हालती भी है
सम्मान खुब करे, थोडी खुरापात भी , थोडी रिआयत , प्यार से रहतीं हैं वो, लवली है वो!!
गालों में उसकी सुबह की लालिमा, होठों पे रंगीन शाम
मृग नयना है वो रूपकामिनी जैसे खिलता गुलाब
प्यार खुब करे, थोडी नाराज़ भी, थोडी उदास, सादगी में रहती है वो, लवली है वो!!
बोली भाषा सुरताल है ,मदमस्त है उसकी चाल,
सुनहरे बाल बिखरे तो रौशन कर दे हॉल,
भोली सी है, थोडी चंचल भी , थोडी गुमशुदा , इतराती भी है वो , लवली है वो!
रब की अनोखी रचना है वो, मेरे तन मन धन की प्राण ,
ना देखु उसे तो लगता है सारा जहा है विरान !
दिल्लगी है वो, थोडी खामोश, थोडी शरारती, कभी जलाती भी है वो, लवली है वो!
फूल से नाज़ुक उसके अंग अंग, धड़कन में सरगम है,
मोहनी है वो फरियादों की नाचती है छम छम
सबसे हट के है वो, मेरे दिल के रथ में है,
मेरी चहात है वो, दिली इबादत है, ज़ान है, ख़ुदा की पेशकश है वो, लवली है वो !
कुमार सरगम
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